About Meerut City मेरठ शहर के बारे में विस्तार से जानकारी
About Meerut City:आज हम बात करेंगे मेरठ शहर के बारे में जो भारत के उत्तरी भाग का सबसे महत्वपूर्ण शहर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित इस शहर के पीछे एक बड़ा इतिहास है। यह शहर कौरवों के साम्राज्य हस्तिनापुर का हिस्सा था जिसने वैदिक भारत पर शासन किया था, और महाभारत के हिंदू महाकाव्य के नायक थे।
मेरठ शहर, नोएडा और गाजियाबाद के बाद उत्तर प्रदेश का सबसे तेजी से विकसित होने वाला शहर है। मेरठ भारत की खेल राजधानी भी है और 3500 हेक्टेयर औद्योगिक भूमि की उपलब्धता और दिल्ली से निकटता के कारण यह औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है।
मेरठ किस चीज के लिए ज्यादा जाना जाता है ? What is Meerut most known for?
जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में मेरठ चौथे स्थान पर है। यह नई दिल्ली से 56 किमी (35 मील) उत्तर-पूर्व में स्थित प्राचीन शहर है। मेरठ में देश के इस हिस्से में सबसे बड़ी सैन्य छावनियों में से एक है। यह अपनी खास प्रकार की कैंची, खेल के सामान और गज़क के लिए प्रसिद्ध है।
मेरठ एक महानगरीय शहर है, और यह दिल्ली के बाद NCR का सबसे बड़ा शहर है। निकट का हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो लगभग 80 किमी दूर है। सड़क मार्ग से, मेरठ दिल्ली, नोएडा, हापुड, फरीदाबाद, मोदीनगर, गाजियाबाद, सहारनपुर, हरिद्वार आदि से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
मेरठ दिल्ली से कितनी दूर है? How far is Meerut from Delhi?
Meerut भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के एक राज्य मेरठ ज़िले में बसा हुआ एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा शहर है। अगर दिल्ली से मेरठ की दूरी की बात करें तो मेरठ दिल्ली से 72 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है। मेरठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर (National capital region)का हिस्सा है। यहाँ भारतीय सेना की एक छावनी भी है।
मेरठ उत्तर प्रदेश परिवहन
बड़ी संख्या में लोग काम के लिए हर रोज दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और गुड़गांव आते हैं। दो राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-58, NH-119) मेरठ से होकर गुजरते हैं।
यहां के दौ मुख्य बस टर्मिनल, एक है भैंसाली बस टर्मिनल और दूसरा है शोरब गेट बस टर्मिनल हैं ।जहां से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम, उत्तर प्रदेश सरकार, की बसें पूरे राज्य के शहरों में सेवा प्रदान करती हैं। मेरठ में दो रेलवे स्टेशन हैं मेरठ सिटी और मेरठ कैंट। यह शहर दिल्ली गाजियाबाद, आगरा, देहरादून और अन्य से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
होटल कैब, निजी टैक्सी, सिटी बसें, ऑटो रिक्शा और रिक्शा शहर के भीतर आने जाने के लिए सुविधाजनक विकल्प हैं। मेट्रो रेल परियोजना पास हो गई है और यह जल्द ही मेरठ शहर में चालू हो जाएगी । भीतरी रिंग रोड, बाहरी रिंग रोड और नए फ्लाईओवर के निर्माण जैसी कई नई परियोजनाएं पहले ही पास की जा चुकी हैं।
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मेरठ में प्रसिद्ध स्थान Famous Place in Meerut
सबसे पहले हम बात करेंगे हस्तिनापुर के जैन मंदिर पहले हस्तिनापुर महाभारत के समय में कौरवों की बहुत ही वैभवशाली राजधानी हुआ करती थी. वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मेरठ से 22 मील उत्तर-पूर्व में गंगा के किनारे बसे इस प्राचीन नगरी के अवशेष आज भी हैं. यहां एक पांडवों का किला (महल) है, मंदिर और अन्य अवशेष जमीन में दबा हैं,जहां पर द्रौपदी का मंदिर बना हुआ है और यहीं पर द्रौपदी घाट भी है ।
गांधी बाग Gandhi Gagh(Company Garden)
मेरठ शहर में प्राकृतिक सौन्दर्य के बिच गांधी Park मेरठ में स्थित है,एक समय था जब ब्रिटिशों के लिए यह पार्क उनका पसंदीदा मनोरंजक स्थान हुआ करता था। अगर आप यहां आने के इच्छुक है तो यहां का Address है- Gandhi Road Meerut Cantt में है, यह Park शहर की भीड भाड वाली जगह से दूर हरियाली से भरा एक सुन्दर और शांत पार्क है।
गर्मीयो के मौसम में राहत पाने के लिए एवं घूमने के लिए एक बहुत अच्छा स्थान है। इस जगह को स्थानीय रूप से लोग Company Garden के रूप में जानते है, यह पार्क छावनी क्षेत्र में आता है, जिसके कारण इस पार्क की सुंदरता बनी हुई है ।
सूरज कुंड Suraj kund Meerut
बड़े लेवल पर खेल के सामान और Musical instruments का निर्माण करने वाला मेरठ उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर है, जो पर्यटन की दृष्टि से भी मुख्य शहरों में से एक है। औघड़नाथ मंदिर, शहीद स्मारक,दिगंबर जैन मंदिर, शाही जामा मस्जिद, सेंट जॉन चर्च, गांधी बाग, शाहपीर की समाधि, शाही ईद गाह, परीक्षितगढ़ किला, बाले मियाँ की दरगाह
आदि मेरठ और इसके आसपास स्थित मुख्य पर्यटन स्थलों में शामिल हैं। यहां स्थित एक अन्य पर्यटन स्थल ‘सूरज कुंड’ के नाम से विख्यात है। सूरज कुंड मेरठ का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। शुरूआती समय में तालाब पवित्र जल से भरा हुआ करता था किंतु समय बदलने के साथ यह जल वाष्पीकृत होता चला गया और अंततः सूखे तालाब में तबदील गया।
चंडी देवी मंदिर Chandi Devi Temple
मेरठ क्रांति धरा के प्रत्येक मंदिर का इतिहास पुराणों की मान्यताओं से सम्बन्ध रखता है.उनमे भी सबसे ज्यादा मंदिरों का निर्माण कार्य मंदोदरी द्वारा कराया गया था,क्योंकि Meerut मंदोदरी का पीहर था.ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताएंगे
जिस मंदिर की यह मान्यता रही है कि हजारों वर्षो से माता चंडी देवी के दर्शन करने से ही भक्तों की समस्त इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, हम बात कर रहे हैं एक मंदिर की जो नौचंदी मैदान में स्थित चंडी देवी नाम से जाना जाता है.इस मंदिर की महत्वपूर्ण बात यह है कि मां चंडी देवी की जो मूर्ति है.वह आठ धातु मिश्रित है.प्रचलित कथा के अनुसार मंदिर में माता चंडी देवी की जो मूर्ति स्थापित है.उसकी स्थापना रावण की पत्नी मंदोदरी ने की थी।
मेरठ मनसा देवी मंदिर Meerut mansa devi mandir
मनसा देवी मंदिर के बारे में
मेरठ में एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर जो मनसा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है जो शहर के सबसे पुराने धार्मिक स्थानों में से एक माना जाता है। यह मंदिर मुख्य रूप से अपनी उत्कृष्ट नक्काशी,architecture,और मूर्तियों के लिए जाना जाता है।Meerut का यह सुप्रसिद्ध हिंदू मंदिर जो माता दुर्गा को समर्पित है।
यह शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है , जिसका सबसे लोकप्रिय होने के कारण, इस मंदिर में हर दिन सैंकड़ो नए भक्त आते हैं। मंदिर के परिसर में कई दुसरे छोटे Temple भी शामिल हैं। रविवार को मनसा देवी मंदिर में भक्तो की भीड़ दोगुनी हो जाती है।मंदिर माता के जैकारो से गूंजता है।
जामा मस्जिद Meerut jama masjid
जामा मस्जिद मेरठ कोतवाली क्षेत्र की पुरानी मस्जिदों की सूची में है, जो देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है। इसके ऐतिहासिक महत्व को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते रहते हैं। यह जामा मस्जिद कई सौ वर्ग मीटर में फैली आज भी बेहतर स्थिति में है।
भारत सरकार इस मस्जिद को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में अपने संरक्षण में लेने के लिए मस्जिद प्रबंधन से कह चुकी है, लेकिन प्रबंधन ने मना कर दिया था। इस मस्जिद का रखरखाव(मेंटेनेंस) और खर्चा लोगों से चंदा लेकर किया जाता है।
अगर ऐतिहासिक तौर पर बात करें तो महमूद गजनवी ने मेरठ के इस रकबे पर जामा मस्जिद बनवाने की घोषणा की थी । यह बात सन् 1019 के आसपास की है। वहीं इस्लाम के ज्ञाता का मानना है कि लगभग 700 साल पहले सुल्तान नासिरुद्दीन ने शाही जामा मस्जिद के रूप में इसका निर्माण आरम्भ करवाया था।
ऐसा माना जाता है कि सात सौ साल पहले यहां सिर्फ पिछले हिस्सा ही बना था। यहां की तीन गुंबदें मुगलों के टाइम की हैं। शाही जामा मस्जिद के वक़्फ़ के प्रबंधक या अधीक्षक व शहरकाजी जैनुस साजिद्दीन ने बताया कि गुंबदों और आगे के हिस्से को छोड़कर अन्य हिस्सों का निर्माण बाद में कराया गया। लोगों की संख्या को देखते हुए ऊपर की बिल्डिंग हाल ही में बनाई गई है।
शहीद स्मारक Meerut Shaheed Smarak
मेरठ के सरकारी स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, की स्थापना 1997 में हुई थी। जो दिल्ली रोड पर शहीद स्मारक परिसर में, शहर के रेलवे स्टेशन से करीब 6 किमी उत्तर-पूर्व में और दिल्ली बस स्टेशन से 200 मीटर के आसपास की दूरी पर स्थित है। विज़िटर्स विभिन्न गेस्टहाउसों, प्राइवेट लॉज और होटलों में ठहर सकते हैं।
इस (archive)संग्रहालय का बुनियादी उद्देश्य सांस्कृतिक संपत्ति का संग्रह करना है , संरक्षण करना, प्रलेखन और प्रदर्शनी है और इसे शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ हमारे गौरवशाली अतीत के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उपलब्ध कराना है।
संग्रहालय से संबंधित कुछ डाक टिकट, चित्र, पोस्ट कार्ड, स्मारक सिक्के 1857 की घटनाएँ और उसके बाद के सिक्के भी संग्रहालय के संग्रह में हैं। संग्रहालय विकासशील चरण में है और अधिक नमूने एकत्र करने के प्रयत्न किए जा रहे हैं।
संग्रहालय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, स्वतंत्रता संग्राम और धर्म से संबंधित व्याख्यान, सेमिनार और प्रतियोगिताओं जैसे शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और खासकर लंबे समय से चली आ रही घटनाओं से संबंधित कार्यक्रमों के प्रसार के लिए अन्य कल्चरल और शैक्षिक संगठनों के साथ समन्वय करना भी है। भारत का स्वतंत्रता संग्राम.
संग्रहालय ओपनिंग टाइम : सुबह 10:30 बजे। शाम 4:30 बजे तक.
दुसरे शनिवारऔर सार्वजनिक छुट्टियों के बाद , रविवार और सोमवार को बंद रहता है , बाकी सभी दिन खुला रहता है ।
औघड़नाथ मंदिर
औघडऩाथ मंदिर की वास्तुशिल्प
स्वर्ण कलश:- 20 फ़ीट
शिखर:- 110 फ़ीट
गर्भगृह:- 144 वर्ग फ़ीट
परिक्रमा मंडप:-35 फुट लंबा, 35 फ़ीट चौड़ा
मेरठ में स्थित बाबा औघड़नाथ का मंदिर वेस्ट उत्तर प्रदेश में आस्था का एक बड़ा केंद्र है। 10 मई 1857 को यहीं से क्रांति का उद्गम हुआ था। यह मंदिर काली पल्टन के नाम से भी जाना जाता है। सावन के महीने में यहां पर कांवड़ियों की बड़ी भीड़ नजर आती है।
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र औघड़नाथ मंदिर आस्था का मुख्य केंद्र है। मेरठ छावनी में यह मंदिर स्थित है। यहां पर वर्तमान में दुर्गा मंदिर और राधा कृष्ण मंदिर भी हैं। अंग्रेजों के समय से यह मंदिर काली पल्टन के नाम से भी प्रसिद्ध् है।इस ऐतिहासिक मंदिर तक पहुंचना बहुत आसान है।
मंदिर का इतिहास
छावनी में रेस कोर्स रोड पर मौजूद मराठाकालीन औघडऩाथ मंदिर प्रथम स्वाधीनता संग्राम की क्रांति का प्रतीक माना जाता है। मराठाओ के समय में कई पेशवा विजय यात्रा से पहले मंदिर में उपस्थित होकर भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना करते थे।
ऐसी कहावत हैं कि इस मंदिर में माथा टेकने के बाद जब मराठा युद्ध के लिए निकलते थे, तो जीत सुनिश्चित होती थी। मंदिर के ठोस पौराणिक तथ्य तो ज्यादा नहीं मिलते, परन्तु इसकी ऐतिहासिक महत्वता इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से दर्ज हैं।
सेना के जवान पीते थे कुएं पर पानी
भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल यहीं से बजा था । अंग्रेजी शासनकाल में यहां स्वतंत्रता सेनानी आकर ठहरते व भारतीय पल्टनों के अधिकारियों से गुप्त सलाह मश्वरा करते थे। अंग्रेजों की यातनाओ से परेशान होकर एक फकीर (साधु)
उन दिनों यहीं आकर रहने लगा था। यहीं पर उसकी लगातार मुलाकातें भारतीय सैनिकों से होने लगीं। प्रवचन और आपसी बातचीत के जरिये उस फकीर ने अंग्रेजी शाशन के खिलाफ विद्रोह का बीज बोने का काम किया।
1857 को क्रांति का आरम्भ
जब तत्कालीन पुजारी को पता लगा कारतूस पर गाय की चर्बी लगी है तो 1856 में उसी समय के पुजारी ने सेना को पानी पिलाने से इंकार कर दिया। ऐसे में निर्धारित 31 मई से पहले ही 10 मई 1857 को क्रांति की शुरुआत हो गयी । बताता जाता हैं 1944 तक प्रशिक्षण केंद्र से लगा हुआ वृक्षों के जंगल में छोटा-सा शिव मंदिर व उसके पास एक कुआं भी था ।
2 अक्टूबर 1968 को नए मंदिर का शिलान्यास ब्रह्मलीन श्री ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य कृष्णबोधाश्रम ने किया था । 1972 को 13 फरवरी के दिन नई देव मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा हुई। साल 1982 14 फरवरी को स्वर्ण कलश की प्रतिष्ठा की गई।
श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं का ताँता लगता है। लाखों की संख्या में शिवभक्त शिवरात्रि पर जलाभिषेक करते हैं। श्रावण मास के सोमवारों को भगवान शंकर की दिव्य झांकियों के दर्शन और भंडारे लगते हैं।
मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं बाबा औघड़दानी
पुजारी श्री धर त्रिपाठी ने या भी बताया कि मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है, जो जल्दी ही मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।आदिकाल से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले औघड़दानी शिवस्वरूप हैं।
इसी लिए मंदिर को औघडऩाथ मंदिर भी कहते हैं।भगवन भोलेनाथ मस्तमौजी अघोरी, विलक्षण, बेडौल, अटपटा, अजीबोगरीब भी हैं इसलिए भगवन शिव को औघड़नाथ भी कहते हैं।
इस मंदिर का नाम काली पलटन कैसे पड़ा
अंग्रेज भारतीयों की पलटन को काली (ब्लैक) प्लाटून कहते थे। काली पलटन मंदिर का यह नाम यहां पर तैनात भारतीय सैनिकों की पलटन की वजह से पड़ा। जो अपभ्रंश होकर काली पलटन कहलाने लगा। चूंकि इसी मंदिर के आसपास भारतीय सैनिकों की दो पैदल प्लाटूनें रहती थीं और भारतीय सिपाही यहां रोजाना पूजा-पाठ के मकसद से भी आते थे, इसलिए इस मंदिर की पहचान काली पलटन मंदिर के रूप में हो होने लगी
सरधना चर्च Sardhna church
मेरठ से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित सरधना में स्थित बेगम समरू द्वारा बनवाए गए 200 साल पुराने चर्च की पूरे विश्व में पहचान है। हिंदू मुस्लिम बस्ती के बीच बना ऐतिहासिक चर्च मैत्री,आस्था और इतिहास का लाजवाब नमूना माना जाता है। इस सरधना चर्च को ईसाई धर्म को मानने वाले लोग कृपाओं की माता मरियम का तीर्थस्थान मानते हैं।
परीक्षित गढ़
मेरठ से लगभग 23 किलोमीटर दूर एक परीक्षितगढ़ नाम से एक किला स्थित है। जिसे “किला परीक्षितगढ़” के नाम से भी जानते है, क्योंकि इसका नाम प्राचीन शहर हस्तिनापुर के राजा परीक्षित के नाम पर रखा गया है। प्रचलित कथा के अनुसार परीक्षित पाण्डवों में से अर्जुन के पोते थे और उनके द्वारा ही इस किले का निर्माण हुआ था।
हस्तिनापुर जैन मंदिर Hastinapur Jambudeep
हस्तिनापुर, जनपद मेरठ से 37 किलो मीटर एवं दिल्ली से लगभग100 किमी की दूरी पर स्थित है, जो मेरठ-बिजनौर रोड से जुड़ा हुआ है। यह स्थान राजसी, भव्यता, शाही संघर्षों एवं महाभारत के पांडवों और कौरवों के रियासतों का प्रत्यक्ष साक्षी है। विदुर्र टीला, पांडेश्वर मंदिर, बारादरी, द्रोणादेश्वर
मंदिर, कर्ण मंदिर, द्रौपदी घाट एवं कामा घाट आदि जैसे प्रसिद्ध स्थल पूरे हस्तिनापुर में फैले हुए हैं। हस्तिनापुर जैन श्रद्धालुओं के लिए भी बहुत मशहूर है। वास्तुकला के विभिन्न आश्चर्यजनक उदाहरण एवं जैन धर्म के विभिन्न मान्यताओं के केंद्र भी यहां पर घूमने के लायक हैं,
अगर मंदिर की बात करें तो जैसे जम्बुद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर, अस्तपद जैन मंदिर एवं श्री कैलाश पर्वत जैन मंदिर आदि। जंबुद्वीप में सुमेरू पर्वत एवं कमल मंदिर एवं मंदिर का सम्पूर्ण परिसर भ्रमण योग्य है, हस्तिनापुर सिख समुदायों के लिए भी एक बड़ा मान्यता का केंद्र है ।
पंच प्यारे भाई धर्म सिंह
इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है की पंच प्यारे भाई धर्म सिंह का जन्म स्थल भी है, जो गुरु गोविंद सिंह जी के पांच शिष्यों में से एक थें। सिख धर्म के लिए सैफपुर कर्मचनपुर का गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ा तीर्थ स्थल है।
पवित्र एवं ऐतिहासिक स्थान होने के साथ साथ ,हस्तिनापुर वन्यजीव के लिए भी काफी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां पास में पशुविहार वनस्पति की विभिन्न प्रजातियों से सुसज्जित है एवं साथ ही वन्यजीव पर्यटन एवं एडवेंचर, ईको-टूरिज्म एवं संबंधित गतिविधियों का केंद्र भी है।
सबसे अच्छी बात यहाँ शुद्ध जलवायु हस्तिनापुर में रहने एवं खाने की बेहतर सुविधा भी उपलब्ध है। वन विभाग का रेस्ट हाउस एवं पी.डब्लू.डी. का अतिथि गृह भी यहां पर स्थित है, साथ ही जैन धर्मशाला भी स्थित है, जहां ठहरने की बेहतर सुविधा उपलब्ध है।
बलेनी (बागपत)
बलेनी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पिलाना ब्लॉक में एक गाँव है। यह मेरठ डिवीज़न के अंतर्गत आता है यह बागपत से 25 किलोमीटर हटकर स्थित है।अगर हम बलेनी के आसपास के सिटी की बात करें तो
हबीबपुर नगला जो (1 किमी) है डोलचा (2 किमी)है हरिया खेड़ा (2 किमी), शाहजहाँपुर तिसोत्रा उर्फ नवादा, घाटोली सभी आसपास के गाँव हैं। बलेनी पूर्व में जानीखुर्द ब्लॉक, उत्तर में रोहटा ब्लॉक, दक्षिण में मुरादनगर ब्लॉक और पश्चिम में खेकड़ा ब्लॉक से घिरा हुआ है।
और दुसरे शहर पास में हैं जैसे मेरठ ,मोदीनगर, मुरादनगर,सरधना ।
यह स्थान बागपत जिले और मेरठ जिले की सीमा पर बसा हुआ है। यह वह स्थान है जहां जानीखुर्द मेरठ जिले में स्थित है।
अगर बलेनी 2011 जनगणना विवरण की बात की जाये तो बलेनी स्थानीय भाषा हिंदी है। बलेनी गांव की कुल जनसंख्या 2293 और घरों की संख्या 401 है।
महिला जनसंख्या 46.5% है। गांवों में साक्षरता दर 68.9% है और महिला साक्षरता दर 27.1% है।
अब 2024 में जनसँख्या में काफी इजाफा हुआ है ये पुराने आंकड़े हैं।
बरनावा कहाँ है Where is Barnawa
बरनावा को वारणावत भी कहा जाता है यह मेरठ से 35 किलोमीटर दूर और सरधना से 17 कि.मी बागपत जिला में एक तहसील है। इसकी स्थापना राजा अहिबरन के द्वारा बहुत समय पूर्व की गयी थी।यहां महाभारत कालीन लाक्षाग्रह चिन्हित है। लाक्षाग्रह नाम की इस इमारत के खंडहर यहां आज एक टीले के रूप में मौजूद हैं।
महाभारत के समय कौरवों ने पांडवों को इस महल में ठहराया था और फिर जलाकर मार देने की योजना बनायी थी। परन्तु पांडवों के शुभचिंतकों ने उन्हें गुप्त रूप से सूचना भेज दी थी और वे निकल भागे थे । वे यहां से गुप्त सुरंग द्वारा निकले थे। ऐसा माना जाता है।
ये सुरंग हिंडन नदी के किनारे पर खुलती है । इतिहास के अनुसार पांडव इसी सुरंग के रास्ते जलते महल से सकुशल बाहर निकल गए थे। जनपद में बागपत व बरनावा तक जाने वाली कृष्णा नदी यहां हिंडन में मिलती है।
उल्लेख है कि पांडवों ने जो पाँच गाँव दुर्योधन से माँगे थे वह गाँव पानीपत, सोनीपत, बागपत, तिलपत, वरुपत (बरनावा) मतलब की पत नाम से जाने जाते हैं, जब भगवान श्रीकृष्ण संधि का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास गए थे तो दुर्योधन ने कृष्ण का यह कहकर अपमान कर दिया था कि “युद्ध के बिना सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं देंगे।”
और फिर इस अपमान के कारन कृष्ण ने दुर्योधन के यहाँ खाना भी नहीं खाया था। वे गए थे महामुनि विदुर के आश्रम में। विदुर का आश्रम आज गंगा के उस पार बिजनौर जिले में पड़ता है। जहँ विदुर जी ने कृष्ण को बथुवे का साग खिलाया था। आज भी इस क्षेत्र में बथुवा अधिक उगता है।
डोगरा मंदिर Dogra Temple
मेरठ का डोगरा मंदिर मेरठ छावनी क्षेत्र में बना ( विराजमान )हैं मां ज्वाला देवी:छावनी क्षेत्र का डोगरा मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र,मां ज्वाला के साथ यहां 9 देवियों के दर्शन होते हैं मेरठ छावनी क्षेत्र में बना डोगरा मंदिर भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है। यह मंदिर सैन्य क्षेत्र में बना हुआ है। सेना की डोगरा रेजीमेंट मंदिर की देखभाल करती है।
मेरठ कैंटोमेंट क्षेत्र में स्थित डोगरा मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। सेना ही डोगरा रेजीमेंट मंदिर की देखभाल करती है। लेकिन मंदिर में आम जनमानस भी मां ज्वाला के मूर्ति दर्शन के दर्शन करने जाते हैं।
काली माता मंदिर (मेरठ) सदर
450 से भी अधिक साल पुराना है मेरठ सदर में माता काली मंदिर का इतिहास
सदर क्षेत्र में स्थित जो बहुत प्राचीन है यह महाकाली का मंदिर काफी ख्याति प्राप्त मंदिरों में से एक है। सिद्धपीठ माता काली का मंदिर 450 साल पुराना माना जाता है। ऐसी मान्यता है, कि मंदिर के स्थान पर पहले श्मशान हुआ करता था। इसी वजह से इस मंदिर को श्मशान महाकाली के नाम से भी जाना जाने लगा है।
मंदिर की देखरेख शुरूआती दौर से ही एक बंगाली परिवार करता आ रहा है। नवरात्र के दिनों में हर साल भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता यह है की, मां काली सभी लोगो द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मुरादे पूरी करती हैं। नवरात्री के दिनों में इस मंदिर में माता काली का विशिष्ट शृंगार किया जाता है। सुबह के समय शृंगार के बाद आरती होती है।और रोज रात दस बजे नगाड़ों के साथ माँ काली की विशेष महाआरती की जाती है। नवरात्र के छठे दिन मंदिर में विशेष पूजा की जाती है और इस दिन भक्तों की संख्या भी बहुत बढ़ जाती है ।
भोले की झाल
पुरा महादेव मंदिर
विदुर का टीला
द्रौपदी की रसोई
शाहपीर समाधि
सेंट जॉन चर्च
शाही – ईदगाह
Meerut FAQs in hindi
सवाल:-मेरठ कहाँ स्थित है?
जवाब:-मेरठ उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।
सवाल:-मेरठ का इतिहास क्या है?
जवाब:-मेरठ का इतिहास बहुत प्राचीन है। यह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण शहरों में से एक है।
सवाल:-मेरठ में कौन-कौन सी जगहें देखने लायक हैं?
जवाब:-मेरठ में कई ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल हैं, जैसे कि स्थानीय म्यूजियम, शाही मस्जिद, सैयद बाड़ा, रंगी महल, और सरस्वती मंदिर।
सवाल:-मेरठ में कौन-कौन सी भाषाएँ बोली जाती हैं?
जवाब:-हिंदी और उर्दू मेरठ में प्रमुख भाषाएँ हैं, हालांकि अन्य भाषाएँ भी यहाँ बोली जाती हैं।
सवाल:-मेरठ में कौन-कौन से पर्यटन स्थल हैं?
जवाब:-मेरठ में कई प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जैसे कि सितारा बाघ, धर्मशाला, संजय वन, और परीक्षित गढ़, बरनावा,डोगरा मंदिर,काली माता मंदिर,भोले की झाल,पुरा महादेव मंदिर,विदुर का टीला,द्रौपदी की रसोई,शाहपीर समाधि,सेंट जॉन चर्च,शाही – ईदगाह सूरज कुंड,।हस्तिनापुर जैन मंदिर
सवाल:मेरठ में कौन-कौन से उत्पादों का निर्माण होता है?
जवाब:मेरठ में चमड़े, लकड़ी, गेहूँ, चावल, और गन्ना जैसे उत्पाद निर्मित होते हैं।
सवाल:-मेरठ के नजदीकी खास शहर कौन-कौन से हैं?
जवाब:मेरठ के पास नजदीकी खास शहरों में दिल्ली, गाज़ियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, और मुजफ्फरनगर शामिल हैं।
सवाल:-मेरठ की मुख्य उद्योग धर्म और व्यापार क्या है?
जवाब:-मेरठ में मुख्य उद्योग चमड़े, पाठ, कागज, कपड़े, गेहूँ, चीनी, और धातु हैं। यहाँ कई व्यापारिक गतिविधियाँ होती हैं।
सवाल:मेरठ में कौन-कौन सी प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं?
जवाब:मेरठ में हिन्दू, मुस्लिम, और सिख समुदाय के त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कि दिवाली, ईद, होली, और गुरुपूर्णिमा।
सवाल:मेरठ में कौन-कौन से धार्मिक स्थल हैं?
जवाब:मेरठ में कई धार्मिक स्थल हैं जैसे कि शाही मस्जिद, सरस्वती मंदिर, श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, और गुरु तेग बहादुर साहिब गुरुद्वारा।