Kya shadi karni chahiye

Kya shadi karni chahiye ? हम शादी क्यों करते हैं ?

शादी करना या ना करना बाद की बात है पहले हमे समझना होगा शादी हम क्यों करते है ? क्या हम बिना शादी किये जीवन नहीं बिता सकते हैं , शादी जरूरी क्यों है ,तो चलिए इसे समझते हैं शादी एक व्यवस्था है । शादी के मायने सबके लिए अलग अलग हो सकते है ।

अगर हम अप्रत्यक्ष तौर पर कहें तो हम शादी अपनी जरूरतों के हिसाब से करते है , जरूरते अलग अलग हो सकती हैं, किसी की शारीरिक जरूरतें होती हैं ,उनको पूरा करने के लिए शादी करते हैं किसी को आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए, किसी को भावनात्मक जरूरत पूरी करने के लिए और भी बहुत सी जरूरत है । 

शादी एक ऐसा पैकेज है जिसमें यह सारी जरूरतें एक साथ पूरी हो जाती हैं। शादी की व्यवस्था इसलिए बनाई गई ताकि हमारे समाज में एक व्यवस्था बनी रहे इसलिए हम दूसरे जीवो से अलग हैं क्योंकि हम ज्यादातर सभी चीजों को एक व्यवस्थित ढंग से करते हैं।

उम्र के साथ हमारे विचार बदलते रहते हैं Our thoughts change with age

हमारी उम्र के हिसाब से हमारी सोच और विचार भी परिवर्तित होते रहते हैं जब हम यंग एज में होते हैं तब हम शादी के विपक्ष में होते हैं जैसे-जैसे हम बढ़ने लगते हैं उम्र ढलने लगती हैं फिर हमारा विचार शादी के पक्ष में होने लगता। जब हम जवान होते हैं तब हमारा मन यही सवाल करता है क्या शादी करना जरूरी है क्या हम बिना शादी के नहीं रह सकते शादी करने की जरूरत क्या है क्या जीवन ऐसे ही अच्छा नहीं चल सकता।

आत्मसंयम है शादी जरूरी नहीं ।

अगर आप अपनी शारीरिक,मानसिक और आर्थिक जरूरतों को बिना शादी के ही पूरा कर लेते हैं ,और आपको किसी विपरीत लिंग की आवश्यकता महसूस नहीं होती है तो आप बिना शादी के भी रह सकते हैं आपको शादी करने की कोई जरूरत नहीं है

आप आत्मसंयम कर सकते हैं बिना शादी के भी उम्र के हर एक पड़ाव में शारीरिक और मानसिक रूप से शांत रह सकते हैं तब शादी हमारे लिए कोई खास महत्व नहीं रखती है।

शादी करना अपना फैंसला होना चाहिए।

आप इसलिए शादी ना करें की घरवाले बोल रहे हैं, आप इसलिए शादी ना करें कि सभी लोग शादी कर रहे हैं आप अपने विचार शक्ति को मजबूत करिए खुद निर्णय लीजिए शादी करना कितना जरूरी है और कितना गैरजरूरी यह फैसला आपका खुद का होना चाहिए अन्यथा आप बाद में खुद को और दूसरों को कोसते रहेंगे शादी कोई टेंपरेरी नहीं है यह एक स्थाई रूप से साथ रहने का प्रोजेक्ट है।

शादी एक जिम्मेदारी है Marriage is a responsibility

शादी होने के बाद जाहिर सी बात है आपकी संतान भी होगी और जब एक बार संतान हो जाती है तब आपको कम से कम 15 से 20 साल तक बच्चों के जवान होने तक सारी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर उनकी शादी तक का सफर इसमें आप बीच में छोड़कर नहीं जा सकते ।

अगर आप ऐसा करते हैं तो यह आपका बहुत ही बेहूदा काम होगा क्योंकि अपने निर्णय लिए हुए पर ही आप स्थिर नहीं रह पाए।अगर आपको लगता है आप बिना शादी किए अपनी सभी आवश्कता पूरी करने में समक्ष हैं और आप एक अच्छा और व्यवस्थित जीवन जी सकते हैं तब आपको शादी जैसे लफड़े में नहीं पढ़ना चाहिए।

क्या शादी के बिना अच्छा जीवन जी सकते है ? Can we live a good life without marriage?

बहुत से लोग हैं जो बिना शादी किए अच्छा जीवन बिता रहे हैं बल्कि कहे तो शादीशुदा लोगों से भी अच्छा जीवन जी रहे हैं उनके जीवन में कोई समस्या नहीं है लेकिन उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए उनके पास भरपूर संसाधन है तो अगर आप अपने लिए सभी सुख सुविधाएं जीने के लिए सभी जरूरतें रखते हैं तो शादी करना आपके लिए कोई खास महत्व नहीं रखता

शादी एक ऐसा बंधन है जो हमें जीवन भर एक दूसरे से बांधकर रखता है भावनात्मक तौर पर हम एक दूसरे से अपनी भावनाओं को शेयर करते हैं कभी-कभी हमें भावनात्मक सांत्वना की बहुत आवश्यकता होती है और वह भी ऐसे साथी से जो हमारे सबसे करीब हो हमें समझ सके।

शादी आध्यत्मिक जीवन में बाधा तो नहीं । Marriage is not a hindrance in spiritual life.

अगर हम आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते हैं तब तो हमें शादी से दूर ही रहना चाहिए क्योंकि जब हम अकेले होते हैं तब हमारा निर्णय हमारे लिए होता है वह केवल हम अपने लिए ही लागू करते हैं अगर हम दूसरे साथी को अपने साथ रखते हैं तब हम उसके विचारों को उसकी बुद्धि को बदलने में असफल साबित होंगे उसे साथ लेकर चलना बहुत ही मुश्किल होगा आध्यात्मिक जीवन में सफल होना बहुत ही मुश्किल होगा।

भगवान बुद्ध ने भी आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए अपने घर और अपनी पत्नी को त्याग दिया था क्योंकि आध्यात्मिक जीवन में बहुत ही बाधाएं और परिश्रम होता है उसे जीने के लिए दूसरे का जीवन मुसीबतों में नहीं डाल सकते क्योंकि आध्यात्मिक रास्ते पर हमें अकेले ही चलना होगा।

अगर हम ज्यादातर सफल आध्यात्मिक महापुरुषों की बात करें तो उन्होंने अकेले रहते हुए ही आध्यात्मिक मार्ग को चुना महात्मा बुध, स्वामी महावीर, स्वामी विवेकानंद, और भी बहुत से महापुरुष हैं जो जीवन भर अकेले ही रहे क्योंकि उन्होंने खुद को नर से नारायण बनाया ,अगर वह अपनी पत्नी को अपने साथ रखते तो शायद सफल नहीं हो पाते ,

जहां एक और शादी करने के लाभ हैं, दूसरी ओर शादी करने की हानि भी हैं तो हम उसी आधार पर अपना निर्णय ले सकते हैं,

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Conclusion निष्कर्ष

दोस्तों आपको हमारा आर्टिकल Kya shadi karni chahiye ?हम शादी क्यों करते हैं ? कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी करें आपका शेयर और कमेंट हमारे लिए महत्वपूर्ण साबित होगा धन्यवाद

Author

vikas kumar

मेरा नाम विकास है , यह मेरी हिंदी वेबसाइट है, मुझे करियर से संबंधित जानकारी और बिजनेस न्यूज , बायोग्राफी ,सफल लोगो के बारे में जानकारी देना ,लोगो को प्रेरित करना अच्छा लगता है , आप मेरे ब्लॉग को सब्सक्राइब करे, साथ ही नोटिफिकेशन Allow करें धन्यवाद

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