Raksha bandhan Kyo Manaya Jata hai in Hindi
रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे ‘राखी’ के नाम से भी जानते है। रक्षा बंधन को ‘रक्षा’ और ‘बंधन’ के शब्दों को जोड़कर बनाया गया है। इसका मतलब होता है बहन की सुरक्षा के लिए वादा करना की वह उसकी सदा रक्षा करेगा । यह Raksha bandhan भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूती देता है ।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है ,भद्रा काल के समय ही रावण की बहन ने उसे राखी बांधी थी जिस के अपशकुन के चलते रावण की उस दिन मृत्यु हो गई थी. इसलिए भद्राकाल के समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है .इसलिए किसी भी बहन को अपने भाई की कलाई पर भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए .
राखी बांधने का सही समय क्या है ?
रक्षाबंधन कभी भी भद्रा के साये में नहीं मनाया जाना चाहिए. मान्यतानुसार इसकी एक खास वजह यह है कि भद्रा को अशुभ समझा जाता है और भद्रा काल में होने वाले कार्यों को भी अच्छा नहीं माना जाता हैं. ऐसे में राखी दोपहर के समय या सुबह समय में बांधना अत्यधिक शुभ होता है जब भद्रा का साया नहीं हो .
कितने बजे का है शुभ मुहर्त ?
भद्रा काल समाप्त होने के बाद रात को 9 बजकर 1 मिनट के बाद, राखी बांधी जा सकती है और गुरुवार की सुबह 31 अगस्त के दिन राखी बांध सकते हैं. अत्यधिक शुभ मुहूर्त 31 अगस्त सुबह का ही माना जा रह है. कोई भी कार्य अपने शुभ समय पर किया जाये तभी वो सफल होता है ,पंचांग की गणना के अनुसार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तरीक 30 अगस्त के दिन सुबह को 10:59 से पूर्णिमा तिथि की शुरूआत हो जाएगी और यह तिथि अगले दिन सुबह 7:05 मिनट तक रहेगी. लेकिन,
30 अगस्त को ही भद्रा की शुरूआत भी हो जाएगी रात 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 30 अगस्त के दिन रात के समय भद्रा खत्म होने के बाध राखी बांधी जा सकती है. लेकिन, रात के समय राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है इसलिए अगली सुबह राखी बांधी जा सकती है. 31 अगस्त के दिन बिलकुल सुबह राखी बांधना शुभ होगा.
रक्षा बंधन का इतिहास – history of raksha bandhan
raksha bandhan का इतिहास बहुत पुराना है।रक्षा बंधन का त्यौहार पुरे हिंदुस्तान में बड़े हर्ष और उल्लाश के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें क्या गरीब क्या अमीर सभी इसे मनाते हैं। कुछ ऐसे कहानियां हैं जो की दंतकथाओं में काफी लोकप्रिय हैं
चलिए रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई के विषय में जानते हैं।
श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
लोगों की रक्षा करने के लिए भगवन श्री कृष्णा को दुष्ट राजा शिशुपाल को मारना पड़ा. इस युद्ध के दौरान कृष्ण जी की अंगुली में गहरी चोट आई थी. जिसे देखकर द्रौपदी ने अपने वस्त्र का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी खून बहने वाली बजह बांध दिया था और खून रोक दिया था।
भगवान श्री कृष्ण को द्रौपधी की इस भावनात्मक कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने द्रौपदी के साथ अपना भाई बहन का रिश्ता निभाया. इसलिए उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की जरूरत होने पर वो उनका जरुर से मदद करेंगे।
एक बार जब पांडवो ने द्रौपदी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने द्रौपधी का चिर हरण करने लगा.द्रौपदी ने भगवन श्री कृष्णा को याद किया और तब भगवन कृष्ण ने द्रौपधी की रक्षा की थी और उनके सम्मान की थी।
महाभारत में राखी की शुरुआत
भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को ये सलाह दी की महाभारत के अपनेआप को और अपने सेना को बचाने के लिए उन्हें राखी का जरुर से उपयोग करना चाहिए युद्ध में जाने से पहले. इसपर माता कुंती ने अपने नाती के हाथों में राखी बांधी थी वहीँ द्रौपधी ने कृष्ण के हाथो पर राखी बाँधी थी .
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है ? Rakshabandhan kaise manaya jata hai
सभी Festival की तरह ही रक्षा बंधन को मनाने का एक खास तरीका होता है जिसका उत्सव हम बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैंतो हम इस विषय में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे
रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से संपन्न हो जाएँ . इससे मन और शरीर दोनों को शीतलता और स्वच्छता प्राप्त होती है है. फिर उसके बाद भगवान (अपने इष्टदेव या देवी ) की पूजा की जाती है. पुरे घर को साफ स्वच्छ कर हर तरफ गंगा जल का छिडकाव कर देते है।
अब शुरुआत होती है राखी बांधने की. इसमें सबसे पहले राखी की थाली को सजाया जाता है. raksha bandhan के प्रवित्र त्यौहार के दिन पितल या ताम्बे की थाली मे ऱाखी ,दीपक ,चंदन , ,कुमकुम, हल्दी,चावल के दाने ओर मिठाई रखी जाती है।
अब भाई को एक साफ़ स्थान में नीचे बिठाया जाता है. फिर शुरू होता है राखी बांधने की विधि.सबसे पहले थाली में एक दीपक को जलाती है, फिर बहन भाई के माथे पर तिलक चन्दन और चावल लगाती है. वहीँ फिर भाई की आरती करती है।
उसके बाद वो अक्षत फेंकती है और मन्त्रों का उच्चारण करती है. और फिर भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ फिर उसे मिठाई भी खिलाती है. यदि भाई बड़ा हुआ तब बहन उसके चरण स्पर्श करती है वहीँ छोटा हुआ तब भाई करता है।
अब भाई अपने बहन को कोई गिफ्ट प्रदान करता है. जिसे की बहन खुशी से ले लेती है. एक बात की जब तक राखी की विधि पूरी न हो जाये तब तक दोनों को भूखा ही रहना पड़ता है. इसके बाद राखी का रस्म पूरा होता है।
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Conclusion निष्कर्ष
दोस्तों आपको हमारा आर्टिकल raksha bandhan Kyo aur kab Manaya Jata hai in Hindi कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये , इसमें बताया गया समय और विधि सही या गलत होने की पुष्टि हमारी वेबसाइट नहीं करती यह सब जानकारी मान्यताओं पर आधारित है ,
रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का सम्मान करने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भारत में विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे सब ‘राखी’ के नाम से भी जानते हैं।