Savitribai phule biography in hindi सावित्री बाई फुले जीवनी
Savitribai phule biography :सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय :सावित्रीबाई फुले एक महाराष्ट्रीयन शिक्षक, कवियित्री, शिक्षक, समाज सुधारक थीं। सावित्रीबाई फुले ने महाराष्ट्र में अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर भारत में महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सावित्रीबाई फुले को भारत में नारीवादी आंदोलन की स्थापना का श्रेय दिया जाता है।
सावित्रीबाई फुले ने लोगों के लिंग और जाति के आधार पर पूर्वाग्रह और अन्यायपूर्ण व्यवहार को खत्म करने का काम किया।पुणे में, भिड़ेवाड़ा के पास, सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा ने 1848 में पहले आधुनिक भारतीय लड़कियों के स्कूलों में से एक शुरू किया।
हमारे देश की प्रथम महिला शिक्षक
सावित्रीबाई फुले हमारे देश की प्रथम महिला शिक्षित थी उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा में बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, और उन्होंने समाज में फैले भेदभाव को मिटाने के लिए भी मुख्य भूमिका अदा की थी आज उनकी 192 वी जयंती है ।सावित्री बाई फुले जयंती (Savitribai phule )
आज भारत देश में शास्त्री बाई फुले की जयंती मनाई जा रही है । बहुत लड़कियों और महिलाओं की प्रेरणा स्रोत रही सावित्रीबाई फुले हमारे देश की प्रथम महिला शिक्षिका भी थी उन्होंने लड़कियों के लिए शिक्षा को बहुत ही महत्वपूर्ण बताते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी 3 जनवरी 1831 को नए गांव जो महाराष्ट्र का एक गांव है मैं जन्म लिया था सावित्रीबाई फुले जाति
और लिंग भेद के विरोध में भी मुख्य भूमिका निभाई थी और उन्होंने अपने पति जो कि एक समाज सुधारक थे उनका नाम ज्योति राव फुले था उनके साथ मिलकर उन्होंने पुणे में एक सबसे पहला लड़कियों के लिए विद्यालय खोला था महिला शिक्षा सशक्तिकरण में खास योगदान दिया था।
सावित्री बाई फुले (Savitribai phule ) के अनमोल विचार
उन्होंने कहा था एक सशक्त शिक्षित महिला एक शब्द समाज का निर्माण करती है इसलिए महिलाओं को शिक्षा का अधिकार होना बहुत ही जरुरी है।आखिर कब तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ी रहोगी अपने अधिकारों के लिए उठकर संघर्ष करो।तोड़ दो वे सब गुलामी की जंजीर है जो तुमको पढ़ने की आजादी नहीं देती तुम्हें सशक्त होने से रोकती है आगे बढ़ने से रोकते हैं
अपने आत्मसम्मान के लिए अपने अधिकारों के लिए शिक्षा ग्रहण करो।दलित महिलाएं शिक्षा की अधिकारी होनी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उन पर जुल्म किया जाता है और इस गुलामी से आजाद होने का केवल एक ही तरीका है वह शिक्षा ग्रहण करना इसलिए शिक्षा ग्रहण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है कैसे भी हालात हो
शिक्षा ग्रहण करना बहुत ही जरूरी है।
Savitribai phule ne kaha शिक्षा से ही उचित और अनुचित का भेद मालूम पड़ता है
हमारे देश में स्त्री साक्षरता की काफी कमी है क्योंकि हमारे देश की स्त्रियों को कभी भी बंधन से मुक्त होने का अवसर ही नहीं प्रदान हुआ।उन्होंने यह भी कहा हमारे देश और समाज की प्रगति तब तक तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती जब तक की सभी महिलाएं शिक्षित ना हो जाएं।
उन्होंने कहा इससे पहले तुम्हें कोई कमजोर माने तुमको शिक्षा के महत्व को समझ लेना चाहिए।महिलाएं केवल खेत और घर का काम करने के लिए ही नहीं है वह पुरुषों से बेहतर काम कर सकती हैं , बराबरी का काम कर सकती हैं।
सावित्री बाई फुले के शिक्षा पर अनमोल विचार
शिक्षाविद्यो ने महिलाओं की शिक्षा को लेकर खास विश्वास नहीं दिखाया ,हमारा इतिहास बताता है की पुराने समय में स्त्रियां भी विदुषी थी।पितृसत्तात्मक समाज कभी नहीं चाहेगा कि स्त्रियां उनके बराबर रहे हमें अपने आप ही साबित करना होगा अन्याय और गुलामी की जंजीरों को तोड़ना होगा शिक्षा स्वर्ग का मार्ग दिखाता है स्वयं को जानने का अवसर देता है।
हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हमारी अज्ञानता है इसलिए उसे नष्ट कर दो और उस पर ऐसा प्रहार करो ताकि वह हमारे जीवन से दूर हो जाए नष्ट हो जाए।
सावित्रीबाई फूले इतिहास Savitribai Phule history :
महाराष्ट्र में सतारा जिले के नया गांव में एक दलित परिवार में 1831 ३ जनवरी को जन्मी सावित्रीबाई फूले भारत की पहली महिला शिक्षिका थी। पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और मा का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले शिक्षक होने के साथ साथ भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता,समाज सुधारक और मराठी कवयित्री भी थी।
इन्हें लड़कियों को शिक्षित करने के लिए समाज का बहुत ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ा था। कितनी बार तो ऐसा भी हुआ जब इन्हें समाज के झूठे हिमायतियों से पत्थर भी खाने पड़े।
आजादी से पहले तक भारत में महिलाओं की दशा दयनीय थी।आज की तरह उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। वहीं अगर बात 18 वीं सदी की करें तो उस दौरान महिलाओं का स्कूल जाना पाप समझा जाता था। ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं कर सकता था।
वह जब स्कूल पढ़ने जाती थीं तो लोग इनके ऊपर पत्थर फेंकते थे। इतना सब होने के बाद भी वह अपने लक्ष्य से कभी नहीं डिगी और लड़कियों व महिलाओं को शिक्षा के हक़ के लिए लड़ी ।
उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले ने अपने पति समाज सेवी महात्मा ज्योतिबा फूले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक स्कूल की स्थापना की थी।
निष्कर्ष Conclusion
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