Shadi ke bad problem kyo aati hai?शादी के बाद प्रॉब्लम क्यों आती है ?
विवाह एक ऐसा जटिल और गतिशील रिश्ता है, जिसमे स्वाभाविक रहना मुश्किल है , दो लोगो में एक साथ तालमेल बैठाना बड़ी ही सूझ बूझ से हो सकता है,और जोड़ों के लिए अपने विवाहित जीवन में कठिनाइयों और समस्याओं का अनुभव करना असामान्य नहीं है। हमे विस्तार में समझना होगा आखिर Shadi ke bad problem kyo aati hai ?
बातचीत मुद्दे Conversation issues
शादी के बाद रिश्तों में खराबी कई वजह से हो सकती है। कुछ मुख्य वजह में से एक हो सकता है कि जब हमारे बीच की बातचीत में समझौता नहीं होता है। इसमें जगड़े, Confusion , विश्वास की कमी, और सहयोग की कमी भी कारण बनता है।
बातचीत की कमी या ख़राब बातचीत से गलतफहमी, नाराजगी और हताशा हो सकती है।जो समस्या का कारण बनता है
वित्तीय समस्याएं पैसो की तंगी होना Financial problems
अगर शादी के बाद खर्चे के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं तो आपसी मन मुटाव होने की सम्भावना रहती है।पैसे के मुद्दे शादी पर एक महत्वपूर्ण दबाव डाल सकते हैं, जिसमें कर्ज, अधिक खर्च या खर्च करने की आदतों में अंतर शामिल हैं।
बेवफाई Infidelity: बेवफाई सबसे बड़ा कारण बनता है शादी के बाद समस्या होने में, बेवफाई आपसी रिश्ते को करब करीब समाप्त कर देती हैं, जिससे महत्वपूर्ण भावनात्मक दर्द और दोबारा विश्वास जमने में कठिनाई हो सकती है।
अंतरंगता की समस्याएं Intimacy problems: शारीरिक या भावनात्मक अंतरंगता की समस्याएं, जैसे यौन इच्छा की कमी या प्रेम व्यक्त करने में कठिनाई, रिश्ते में तनाव पैदा कर सकती हैं।
शादी के बाद प्रॉब्लम क्यों आती है ?
ससुराल वालों या विस्तारित परिवार के सदस्यों के साथ विवाद विवाह में तनाव और तनाव पैदा कर सकता है।ज्यादा फैला हुआ परिवार भी कई बार विवाद का कारण बनता है। ज्यादा लोग ज्यादा समस्या
माता-पिता की असहमति Parenting disagreements: पालन-पोषण की तरीके या मान्यताओं में अंतर विवाह में तनाव और संघर्ष का कारण बन सकता है, खासकर जब यह अनुशासन और बच्चों की परवरिश की बात आती है।अगर शादी अंतर्जातीय है तो समस्या होने के चांस ज्यादा रहते हैं।
करियर या काम से संबंधित तनाव Career or work-related stress: नौकरी से संबंधित तनाव या करियर से संबंधित विवाद विवाह पर दबाव डाल सकते हैं और तनाव और असंतोष को जन्म दे सकते हैं।
एक साथ समय की कमी Lack of time together: व्यस्त कार्यक्रम, काम की मांग, या अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण एक साथ गुणवत्तापूर्ण समय की कमी हो सकती है, जिससे अकेलेपन और वियोग की भावना पैदा होती है।
शादी शुदा लोगो के लिए इन मुद्दों को खुले तौर पर और ईमानदारी से संबोधित करना और चुनौतियों से उबरने और एक स्वस्थ और पूर्ण विवाह को बनाए रखने के लिए Professional help लेना महत्वपूर्ण है।
How to save relation. रिश्ते को कैसे बचाएं ? एक दूसरे की भावनाओ का रखे ख्याल
एक दूसरे की feelings को ना समझना, ये भी बड़ा कारण बनता है रिश्तो में दरार का पति वह पत्नी के परस्पर रिश्तो के प्रति विश्वास और एक दुसरे की भावनाओं का आपस में सम्मान बहुत जरूरी है जब दोनों साथ रहते हैं तब एक दूसरे की जरूरतों को समझना चाहिए ।
कई बार हम एक दूसरे की भावनाओं को अनदेखा करते जाते हैंऔर अक्सर छोटी-छोटी बातें बड़े-बड़े विवाद का कारण बनते हैं एक दूसरे पर तंज कसना कई बार रिश्तो में झगड़े का मुख्य कारण बनते हैं एक दूसरे को ताना देना अगर आपने ऐसी कुछ कमियां और आते हैं तो उन्हें तुरंत बदलिए ।
जब आप खुद को बदलना नहीं चाहते तब आप अपने साथी से कैसे उम्मीद रख सकते हो,अगर आप अपने साथी को बदलना चाहते हो तो पहले तुम्हें खुद को भी बदलना होगा।
1.शादी क़े बाद भी बैचलर वाली लाइफ जीना
शादी के बाद आने वाली हमारी ज्यादातर समस्याएं इस वजह से होती है कि हम भूल जाते हैं हम शादीशुदा हैं।हम 40 साल में भी 20 से 25 साल की लाइफ जीना चाहते हैं इसलिए ही समस्याएं जन्म लेते हैं हमें अपनी उम्र के हिसाब से जीना चाहिए यदि हम अपनी उम्र के हिसाब से नहीं चलेंगे तो समस्याएं तो आएंगी ही।
अत्यधिक उम्मीद
शादी के बाद जो हमारी उम्मीदें अपने पार्टनर से पूरी नहीं होती तब क्रोध और घृणा जन्म लेती है जो कलह का कारण बनते हैं इसलिए अपनी ओवर एक्सपेक्टेशन को संभाले।
ज्यादा एक्सपेक्टशंस की वजह से दोनों के बीच कहासुनी होने लगती है जो इतनी बढ़ जाती है एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करते वास्तविकता से दूर हो जाते हैं एक दूसरे की वैल्यू अपनी अपनी नजरों में कम कर लेते हैं जो आगे चलकर तलाक का कारण बनता है।
एक दूसरे में कमियां ढूंढना finding faults in each other
कमी तो सभी में होती है ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसमें कोई कमी ना हो या कोई बुराई ना हो बस फर्क इतना होता है हम अपनी कमी और बुराइयों को नजरअंदाज कर देते हैं और सिर्फ अपने साथी की कमियां और बुराइयां नजर आती है अगर आप अपनी कमी और अपनी बुराई को ना देख कर अपने पार्टनर की कमियां और बुराइयों को देखोगे तो रिश्तो में कड़वाहट आना लाजमी है ।
सही तो यही होगा कि आप अपने पार्टनर की कमियां को नजरअंदाज करके अपने रिश्ते को ज्यादा अहमियत देनी होगी अगरलगता है आपको कि आपके साथ ही में कोई कमी है या बुराई है तो रोज ना बोल कर जब आपके पार्टनर का मूड अच्छा हो तब बैठ कर आराम से समझाएं ताकि उन्हें बुरा भी नहीं लगेगा और वह अपने आप को बदलने की भी कोशिश करेंगे।
जब हम जब हम एक दूसरे की भावनाओं की कदर नहीं करते तब एक दूसरे के साथ समय बिताना भी अच्छा नहीं लगता है.
घमंडी होना Being Egoistic
कई बार हमारा ईगो बने बनाए रिश्ते को बिगाड़ देता है हम एक दूसरे को बर्दास्त ही नहीं करना चाहते , एक दूसरे के सामने झुकना पसंद नहीं करते ।जब हम कोई जॉब करते है, या किसी से कर्ज़ ले रखे होते हैं तब हम उनसे बड़ी ही पोलाइट ली बात
करते हैं चाहे वह हमारे ऊपर कितना भी गुस्सा क्यों ना हो तो फिर हम अपने पाटनर की छोटे-मोटे गुस्से को क्यों नजरअंदाजनहीं करते हैं एक दूसरे को। अपने से छोटा समझते हैं।
गलतफहमी की वजह से लड़ाई Fight due to misunderstanding
कई बार हम अपनी गलतफहमी के चलते शादी शुदा जिंदगी को खराब कर लेते हैं और बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता है कभी भी गलतफहमी का शिकार नहीं होना चाहिए बिना सोचे समझे किसी भी बात को सच नहीं मान लेना चाहिए या
किसी के द्वारा कही हुई बात को सच नहीं मान लेना चाहिए जब तक आप अपनी आंखों से ना देख लिया हो अपने कानों से नासुना हो किसी भी बात पर यकीन नहीं करना चाहिए अन्यथा आप अपनी बसी बसाई दुनिया को उजाड़ लेंगे ।
पति पत्नी के बीच में तीसरे को ना आने दे
कैसा भी रिश्ता हो कोई भी रिश्ता हो तब तक ही बेहतर बना रह सकता है जब पति और पत्नी दोनों परस्पर भावनाओं को समझे और उनका सम्मान करें, इससे आपसी रिश्ते मजबूत होंगे जीवन में आने वाली कड़वाहट से बचेंगे क्योंकि अगर आप दोनों के बीच
तीसरे शख्स को आने देते हैं तब आप अपने जीवन में जहर घोलने का काम कर रहे हैं जिससे आप अपने रिश्ते को नहीं बचा पाएंगे आप अपना जीवन नर्क कर लेंगे।
अधिक डिमांडिंग होना Being Dore Demanding.
अगर हम अपने पार्टनर से अधिक रिमांड करते हैं जोकि संभव नहीं होता तब भी हमारे रिश्ते में दरार आना स्टार्ट होजाता है। अपने पार्टनर से वही डिमांड करें जिसे वह पूरी कर सके ऐसी कोई भी डिमांड ना करें जिसे आपका पार्टनर पूरी ना
कर सके।कई बार यह जानते हुए भी कि हमारा पति/पत्नी यह डिमांड पूरी करने में सक्षम नहीं है फिर भी हम यह डिमांड करते हैं तब हम जानबूझकर अपना रिश्ता खराब कर रहे होते हैं। हमे कभी-कभी अपने आप को सामने वाले की जगह भी रख कर
देखना चाहिए कि अगर उसकी जगह मैं वहां होता या होती क्या उस की फरमाइश पूरी कर पाता या कर पाती ऐसा सोचने सेआपका झगड़ा कभी नहीं होगा।
बुराई करनी छोड़ो
ज्यादातर महिलाओं की एक आदत होती है कि वह छोटी-छोटी बातों को लेकर भी अपने पार्टनर को क्रिटिसाइज करने लगती हैं।ऐसा करने से आपके साथी के मन में आपके प्रति विश्वास कम होता है उसमें इनसिक्योरिटी की फिलिंग्स जन्म लेने लगती हैं
जो रिश्तो के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है अगर आप अपने पति या पत्नी के सामने उसके परिवार की बुराई करते हो तब उसे बहुत ही बुरा लगता है किसी भी इंसान को उसकी फैमिली के बारे में किसी से भी बुराई सुनना बिल्कुल भी पसंद नहीं है
कोशिश करें ऐसा ना करें।अगर ऐसा कुछ लगता है तो आप बैठ कर बात कर सकते हैं।
कभी भी किसी से तुलना ना करें never compare yourself to anyone
किसी भी व्यक्ति से अपने साथी की तुलना कभी नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से आपके साथी के मन में इनसिक्योरिटी कीभावना का जन्म होता है और इससे आप दोनों के बीच टकराव होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और आपके पार्टनर की
फिलिंग्स हर्ट होंगी।हर एक व्यक्ति में अलग-अलग क्वालिटी होती है ।इसलिए आप उनकी कमियों कोना देखकर उनकी खूबियों को देखें उनकी विशेषताओं पर नजर डालें उनमें खास बातें हैं उन पर ध्यान दें उनकी जो बातें आपको अच्छा महसूस कराती हैं उन पर ध्यान दें।
बातों से हल निकाले।Find solutions through talk.
अगर आप एक दूसरे से किसी बात पर नाराज होकर बात करना बंद कर दें तो यह बिल्कुल ही गलत फैसला है बात बंद कर देने से कोई समाधान नहीं निकलता बल्कि और रिश्तो में दरार और कड़वाहट पन बढ़ जाता है।
जब कभी भी एक दूसरे से बात होनी बंद हो जाए तब पहल करने से गुरेज ना करें। पहले बात स्टार्ट करने से कोई छोटा नहीं हो जाता कभी यह ना सोचें कि सामने वाला ही बात करें आप खुद भी बात की शुरुआत कर सकते हैं बात करने से ही समस्या का
समाधान निकलेगा।बात करने से ही हल निकलता है बिना बात किए आप किसी भी रिश्ते को नहीं सुलझा सकते हैं रिश्तो में
आई दरार को भरने का एकमात्र तरीका बात करना ही है रिश्तो में आई कड़वाहट को मिठास में बदलने का एक तरीका बात करना ही है।बात करने से बात बन जाती है करके तो देखो ।
शादी शुदा जिंदगी को बेहतर कैसे बनाएं How to make married life better
प्रत्येक व्यक्ति के सुखी और पूर्ण वैवाहिक जीवन की परिभाषा अलग-अलग हो सकती है। हालाँकि, यहाँ कुछ सामान्य सुझाव दिए गए हैं जो आपको अपने वैवाहिक जीवन का आनंद लेने में मदद कर सकते हैं :-
प्रभावी ढंग से संवाद करें Communicate effectively: अच्छा संचार किसी भी सफल विवाह की कुंजी है। सुनिश्चित करें कि आप ईमानदार हैं और अपने साथी के साथ खुले हैं और आप सक्रिय रूप से सुनते हैं कि उन्हें क्या कहना है।
एक-दूसरे के लिए समय निकालें Make time for each other: बिजी शेड्यूल के साथ, अपने रिश्ते को बैकसीट लेने देना आसान हो सकता है। एक साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए सचेत प्रयास करें, चाहे वह डेट्स पर जाना हो, यात्रा करना हो या घर पर एक सुकून भरी शाम बिताना हो।
(Shadi ke bad problem kyo aati hai)
प्रशंसा और आभार व्यक्त करें Show appreciation and gratitude: अपने साथी को हल्के में न लें। सुनिश्चित करें कि आप उन्हें उन चीजों के लिए प्रशंसा और आभार दिखाते हैं जो वे आपके लिए करते हैं, चाहे वह एक छोटा इशारा हो या एक बड़ा इशारा।
अपनी इंटीमेसी पर काम करें Work on your intimacy: शादी में फिजिकल इंटिमेसी जरूरी है, लेकिन इमोशनल इंटिमेसी भी उतनी ही जरूरी है। सुनिश्चित करें कि आप अपने साथी के साथ भावनात्मक और शारीरिक रूप से जुड़े हुए हैं।
संघर्षों के माध्यम से काम करें Work through conflicts: संघर्ष किसी भी रिश्ते का एक स्वाभाविक हिस्सा है, लेकिन आप उनसे कैसे निपटते हैं, इससे बहुत फर्क पड़ सकता है। दोषारोपण या नकारात्मकता का सहारा लिए बिना, स्वस्थ तरीके से संघर्षों के माध्यम से काम करें।
याद रखें, शादी एक ऐसी यात्रा है जिसमें धैर्य, प्रयास और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। हो सकता है कि यह हमेशा आसान न हो, लेकिन इन युक्तियों का पालन करके और साथ काम करने के लिए तैयार रहकर आप एक सुखी और परिपूर्ण वैवाहिक जीवन का आनंद ले सकते हैं।
10 interesting facts about Marriage
शादी की उम्र: भारत में शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र पुरुषों के लिए 21 और महिलाओं के लिए 18 साल है।
शादी का प्रतीक: हिंदू धर्म में “मंगलसूत्र” और “सिंदूर” शादीशुदा महिलाओं का प्रतीक होता है। यह उनके विवाहित होने का संकेत माना जाता है।
विवाह की प्राचीनता: विवाह की परंपरा लगभग 4000 साल पुरानी मानी जाती है, जो विभिन्न संस्कृतियों में विकसित हुई है।
अंतरजातीय विवाह: भारत में अब अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों को सामाजिक स्वीकृति मिल रही है, हालाँकि कुछ स्थानों पर अभी भी इसे लेकर विरोध होता है।
लव मैरिज और अरेंज मैरिज: Love marriage and Arrange Marriage भारत में अरेंज मैरिज (व्यवस्थित विवाह) का प्रचलन काफी समय से है, जबकि अब लव मैरिज (प्रेम विवाह) का चलन भी बढ़ रहा है।
शादी की अनुष्ठान: हिंदू विवाह में “सात फेरे” और “सप्तपदी” सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होते हैं, जिसमें दंपत्ति सात वचनों के साथ अग्नि के चारों ओर फेरे लेते हैं।
शादी का मौसम: भारत में शादियों का मुख्य मौसम सर्दियों का होता है, खासकर नवंबर से फरवरी के बीच, क्योंकि इस समय मौसम सुहावना होता है और हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त होते हैं।
विवाह और पंचायती निर्णय: कुछ ग्रामीण इलाकों में “खाप पंचायतें” अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों के खिलाफ होती हैं और कई बार ऐसे विवाहों पर सख्त निर्णय लेती हैं।
महंगा उत्सव: भारत में शादियां काफी धूमधाम और महंगी होती हैं। परिवार शादी पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, जो इसे एक भव्य उत्सव बनाता है।
विवाह में कानून: भारत में हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954, और मुस्लिम विवाह कानून जैसी कई कानूनी व्यवस्थाएँ हैं, जो विभिन्न धर्मों के विवाह को नियंत्रित करती हैं।
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शादी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
सवाल:-शादी क्या है?
जवाब:-शादी दो व्यक्तियों का सामाजिक, कानूनी और आध्यात्मिक रूप से बंधन है।
सवाल:-शादी की उम्र क्या होनी चाहिए?
जवाब:-भारत में लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष।
सवाल:-शादी के प्रकार क्या होते हैं?
जवाब:-अरेंज मैरिज, लव मैरिज, कोर्ट मैरिज, सामुदायिक विवाह।
सवाल:-शादी के लिए जरूरी दस्तावेज क्या हैं?
जवाब:-जन्म प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, और शादी का प्रमाण पत्र।
क्या लव मैरिज कानूनी है?
जवाब:- भारत में लव मैरिज कानूनी रूप से मान्य है।
सवाल:-शादी के लिए अनुकूल राशि कैसे देखी जाती है?
जवाब:-कुंडली मिलान या वैदिक ज्योतिष के आधार पर।
सवाल:-क्या शादी रजिस्टर कराना जरूरी है?
जवाब:-हाँ, शादी का रजिस्ट्रेशन कानूनी रूप से आवश्यक है।
सवाल:-शादी का खर्च कौन उठाता है?
जवाब:-यह परिवारों की आपसी समझ और परंपराओं पर निर्भर करता है।
शादी के बाद नाम बदलना जरूरी है?
जवाब:-नहीं, यह व्यक्तिगत निर्णय है।
सवाल:-क्या बिना फेरे लिए शादी हो सकती है?
जवाब:-कोर्ट मैरिज में फेरे आवश्यक नहीं होते, कानूनी प्रक्रिया से विवाह हो सकता है।
निष्कर्ष Conclusion
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