Acting kaise seekhe.
अगर आप एक्टिंग के नौ ऱस जान लोगे तो बन जाओगे सुपरस्टार !
अगर आप एक्टिंग या फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहते है तो आप इन नौ बातो को अच्छे से जानना और सीखना
होगा हम आपको एक्टिंग के नौ रस को बिलकुल ही विस्तार में बताने वाले है आप ध्यान से और पूरा आर्टिकल पढ़े और अप्लाई
करें .
पहला रस (श्रृंगार रस) LOVE श्रृंगार रस किसे कहते है ये समझना होगा।
नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता
है तो वह ‘श्रृंगार रस’ कहलाता है।साधारण शब्दों में समझिए प्यार एक कला है जो सभी को नहीं आती है या यु कहिये प्यार करना ही नहीं आता है।
प्रेम एक एहसास एक भावना है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का
समावेश होता है। प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे बढ़ता है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना जो
सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। प्यार करते समय प्यार के भाव चेहरे पर होना बहुत महत्वपूर्ण है।
दूसरा रस वीर रस (BRAVE )
बहादुल होने के साथ साथ दिखना भी चाहिए शारीरिक भाषा में बातो में आवाज में वीर रस झलके वीर रस को जाने ,वीर रस का
स्थायी भाव उत्साह होता है और इस रस के अंतर्गत जब युद्ध या कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना
जागृत होती है उसे ही वीर रस कहा जाता है। इस रस में शत्रु पर विजय प्राप्त करने, कीर्ति प्राप्त करने आदि की भाव प्रकट
होता है।
तीसरा रौद्र रस (anger )
जहाँ क्रोध का वर्णन होता है वहां रौद्र रस होता है. किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान या कहे गए शब्द आदि से
जो भाव उत्पन्न होता है, यही भाव परिपक्व अवस्था में रौद्र रस कहलाता है। रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध होता है।
अद्भुत रस (wonder )
अद्भुत, जब किसी के मन में आश्चर्यजनक वस्तुओ को देखकर आश्चर्य आदि के भाव उत्पन्न होते है तो वह अद्भुत रस होता है
इसके अंदर। ,रोमांच आंसू का आना कापना । गदगद होना आँखे फाड़ के देखना आदि के भाव व्यक्त होते है।
भयानक रस (fear )
किसी भयानक या दुखद घटना वस्तु को देखने , यद् करने या उसके बारे में बात करने मन में जो व्याकुलता और भय उत्पन होता है उसे भयानक रस कहते है। चेहरे पर ऐसे भाव हो मन में व्याकुलता और भय होना चाहिए।
हास्य रस ( कॉमेडी )
किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं। हमारी हंसी ऐसी हो जो बनावटी ना लगे हमारे चेहरे के भाव हमारी हसीं से मेल खाते हों।
करुण रस (sad )
जब नायक या नायिका में किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति के दूर या विनाश होने पर मन में जो दुःख का भाव प्रकट होता है उसे ही
करुण रस कहा जाता है।
शांत रस (peace )
जब मोक्ष और अध्यात्म की भावना संसार से वैराग्य होने या परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर जो शांति का अनुभव होता है उसे शांत रस कहा जाता है।