bhagwan shree krishna

Bhagwan krishna kaun hai भगवान श्री कृष्ण कौन हैं ?

Bhagwan krishna kaun hai: भगवान श्री कृष्ण हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं। वे भगवान विष्णु के 8 वे अवतार माने जाते हैं और सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता के आदि अध्याय में अर्जुन के उपदेशक के रूप में प्रसिद्ध हैं।

Ghagwan krishna का जन्म महाभारत के समय में हुआ था, विष्णु भगवान के केवल दो अवतारों को दुनिया में सबसे ज्यादा पूजा जाता है और वह है कृष्ण ,और राम । वृंदावन में नंद बाबा और यशोदा माता को उनके माता पिता के रूप में जाना जाता है ।

कृष्णा लीलाएं और उनके कार्य

श्री कृष्ण भगवान के जीवन के बहुत से महत्वपूर्ण कार्य और लीलाएं हैं, जिनमें मक्खन चुराना , गोपियों के साथ रासलीला करना , कंस जैसे दुर्जनों का वध, और श्री श्रीमद भगवद गीता के अर्जुन को दिए गए वाणी वचन शामिल हैं। उनकी श्रीमद भागवत गीता का सन्देश धर्म, कर्म, और भक्ति के माध्यम से जीवन को अध्यात्मिक बनाता है

कृष्णा भगवान वास्तव में क्या हैं ?

भगवान श्री कृष्ण के जीवन के बारे में जानने के लिए और उनके महान उपदेशों को समझने के लिए भगवद पुराण, महाभारत,और अन्य हिन्दू धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया जा सकता है। वे भगवान के रूप में अद्वितीय और परम ईश्वर के स्वरूप में पूजे जाते हैं और हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण भक्ति और आध्यात्मिक आदर्श के प्रतीक हैं।

भगवन श्री कृष्ण को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है ?

हिन्दू धर्म के और शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद भगवान श्री कृष्ण को पूजा में फल, फूल, अर्पित करें धूप, दीप, कुमकुम, तुलसी दल, तिल, जौ, अक्षत, हल्दी और चंदन अर्पित करें, ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को पंचामृत स्नान करवाकर उनका श्रृंगार करें और इसके बाद उन्हें दर्पण दिखाने से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मानिसक जाप निरंतर करते रहे , बिना जीब हिलाये।

भगवान श्री कृष्ण को कैसे प्राप्त कर सकते हैं ?

भगवान श्री कृष्णा को पाने के तीन विधियाँ गीता में बताई गयी हैं। इनमें पहला है कर्म योग। दूसरा ज्ञान और तीसरा भक्ति याेग।
विस्तार में जानकारी के लिए आपको श्री मद्भागवत गीता की शरण में जाना पड़ेगा ,जब आप नियमित रूप से स्वच्छ होकर सच्चे और स्वच्छ हृदय से पाठ करोगे,तब आपके ज्ञान चक्षु खुल जायेंगे ,आप अपने अंदर बदलाव देख पाएंगे।

भगवान श्री कृष्ण का वास्तविक स्वरुप क्या है ?

भगवन श्री कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान ही नहीं बल्कि पूर्ण पुरुष थे।क्योंकि वो सभी कलाओ और विद्याओ से पूर्ण थे, इसलिए भगवन श्री कृष्णा हो ही पूर्ण पुरुष माना गया है उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। उन्होंने अपने वास्तविक स्वरुप के दर्शन महाभारत के युद्ध में अर्जुन को कराये थे ?

Krishna kaun the

जब भी हम भगवान श्री कृष्णा के उपदेश देते हुए उनके स्वरुप को देखते है , जो बहुत ही आकर्षक लगता है। उनके सूर्य के सामान चमकने वाले मुख मंडल को देखते ही मन में एक विचार आता है , आखिर krishna kaun the अगर हमे उनको जानना है , तो हम उनकी भक्ति करके ही उन्हें जान सकते है , गीता में भगवान श्री कृष्णा से अर्जुन को अपने वास्तविक स्वरुप को दिखाया था। किसी में इतना समर्थ नहीं जो उनके तेज को सहन कर पाए , भगवान श्री कृष्णा ने उन्हें शक्ति दी थी की वे उनके वास्तविक स्वरुप का तेज सहन कर पाए।

इस पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति पूर्ण पुरुष नहीं है , मगर भगवान श्री कृष्णा को पूर्ण पुरुष माना जाता है। कृष्णा भगवान सर्वगुण संपन्न थे। वे 16 कलाओं से निपुण थे। वहीं भगवान राम 12 कलाओं से परिपूर्ण थे। आइए भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं के बारे में जानते हैं।

भगवान श्री कृष्ण में मौजूद 16 कलाएं और उनका रहस्य

1. प्राची दिग कला,
2. दक्षिण दिग कला,
3.प्रतीची दिग कला,
4.उदीची दिग कला,
5.पृथ्वी कला,
6.अन्तरिक्ष कला,
7.समुद्र कला,
8.वायु कला,
9.चन्द्र कला,
10.सूर्य कला,
11.विधुत कला,
12.अग्नि कला,
13.मन कला,
14.चक्षु कला,
15.घ्राण कला
16.और श्रोत कला प्राची दिग कला को पूर्व दिशा भी कहते हैं।

1. प्राची दिग कला क्या है ?

प्राची दिग कला को पूर्व दिशा भी कहा जाता हैं।

पूर्व दिशा का रहस्य क्या है ? यह दिशा बहुत इतनी ऊर्जात्मक क्यों है ? इस दिशा की पूरी जानकारी भगवान कृष्ण जानते थे।

दक्षिण दिग कला को दक्षिण दिशा और प्रतीची दिग कला को पश्चिम दिशा

और उदीची दिग कला को उत्तर दिशा कहते हैं। इन दिशाओं में क्या-क्या उपलब्ध है ? इस सभी दिशाओं के वैज्ञानिक और उनके आध्यात्मिक रहस्य को भगवान श्री क्रष्ण पूर्ण रुप से जानते थे।

पृथ्वी कला –पृथ्वी में कहाँ पर मीठा पानी है और कहाँ पर कड़वा पानी है , कहाँ सोना है कहाँ चाँदी है और प्रथ्वी के अंदर क्या-क्या खनिज लवण मौजूत है तथा पृथ्वी कैसे बनी ,और पृथ्वी का आधार क्या है ? उन सभी रहस्यों को श्री कृष्ण भगवान जानते थे। इसी प्रकार अन्तरिक्ष क्या है ?

अंतरिक्ष,समुन्द्र, वायु,चन्द्र,सूर्य ,विधुत ,चंद्रमा,अग्नि

और इसका वैज्ञानिक रहस्य क्या है ? अन्तरिक्ष,और आकाश क्यों बना ? और अन्तरिक्ष में क्या-क्या उपलब्ध है ? समुद्र और वायु का रहस्य क्या है ? समुद्र इतना विशाल क्यों बना है ? वायु कैसे काम करती है और वायु कितने प्रकार की है ?

चन्द्र लोक पर क्या-क्या है ? चंद्रमा की शीतलता का क्या राज है ? चंद्रमा जीवन कैसे देता है ? सूर्य की आग का क्या रहस्य है ? सूर्य इतना प्रकाश कैसे देता है ? सूर्य को कौन चलाता है ? ये आसमान में गरजती बिजली का वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?

और आग क्यों जलती है ? अग्नि तत्व क्यों बना ? अगर आग न होती तो जीवन कैसे चलता ? आग कितने प्रकार की होती है और जीवन के साथ इसका क्या संबंध है ? इन सभी कलाओं को भगवान श्री कृष्ण जानते थे।

मन, चक्षु, घ्राण,स्वाद

मन की कला , चक्षु कला , घ्राण और श्रोत कला के शरीर के उपर क्या क्या प्रभाव है ?

मन क्या है ? कैसे काम करता है ?

शरीर में मन कहाँ रहता है ?

आंखे कैसी काम करती है ?

कहाँ से मिलती है आंखो को रोशनी ?

आंखो का आध्यात्मक और वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?

कैसे हम स्वाद को पहचानते हैं ?

स्वाद कितने प्रकार के होते है अगर स्वाद न होता तो क्या होता ?

सूंघने का वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?

नाक क्यों है ?

तथा शब्दों का विज्ञान क्या है ?

शब्द कहाँ से आते हैं ?

इन शब्दों को कौन बनाता है ?

शब्द ही जीवन देते हैं शब्दों से जीवन कैसे चलता है ?

इन सभी उपरोक्त 16 कलाओं में मेरे भगवान श्री कृष्ण पारंगत थे। जो योगी इन सभी 16 कलाओं के विज्ञान को जान लेता है वही योगी भगवान के द्वारा बनाये इस ब्रमांड को और ब्रह्म ज्ञान को जान लेता है।

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vikas kumar

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