shivling par doodh kyo chadhaya jata hai

Shivling par doodh kyo chadhate hai?शिवलिंग पर दूध क्यों

शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है ?दोस्तों आज हम आपको बताएंगे “Shivling par doodh kyo chadhate hai”चढ़ाने का क्या रहस्य है।सबके मन में यह सवाल जरूर रहता है कि शिवलिंग पर आखिर दूध क्यों चढ़ाया जाता है।

हमारी परंपराओ के पीछे बहुत सारे वैज्ञानिक रहस्य छिपे हुए हैं। जिनके बारे में हम जान नहीं पाते हैं क्योंकि इसके बारे में हमें किसी स्कूल या कॉलेज में नहीं पढ़ाया जाता।

सावन में अधिक दूध चढ़ाया जाता है।

महादेव भगवान शिव को सावन के महीने में बहुत अधिक दूध का अभिषेक किया जाता है हमारा मानना है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर हमें उन्नति का मार्ग दिखाएंगे और हम भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे लेकिन सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का एक बहुत ही बड़ा कारण छिपा हुआ है।

शिवलिंग का क्या मतलब होता है ?

दोस्तों लिंग का मतलब होता है आकार और शिव मतलब भगवान इसलिए शिवलिंग का मतलब होता है शिव का आकार क्योंकि भगवान शिव साकार और निराकार दोनों रूप में पूजे जाते हैं जो भगवान शिव को साकार रूप में पूछते हैं वह उनके लिंग यानी उनके आकार की पूजा करते हैं इसलिए शिवलिंग कहा जाता है।

भगवान शिव एक ऐसे देव हैं जिनके शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। केवल भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो अपने भक्तों के लिए या अपने भक्तों के कल्याण के लिए बहुत ही विषैला दूध पी सकते हैं।भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही संहार करता हैं।

इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का नाश होता है मतलब जो विष है वह सब कुछ भगवान शिव को भोग लगता है भगवान शिव से ही हम जीवन जीने के तरीके जान सकते हैं पुराने समय में जब सावन के महीने में हर जगह भगवान शिव का त्यौहार मनाया जाता है

या शिवरात्रि पर दूध चढ़ाया जाता है तब लोग समझ जाते हैं कि इस महीने में दूध विष के समान है और वे दूध इसलिए त्याग देते हैं क्योंकि उन्हें बरसात में होने वाली बीमारियां न हो जाएं,इसलिए बरसात के मौसम में दूध को विष के समान भी माना जाता है इसलिए दूध को विष के रूप में भगवान शिव को अर्पित किया जाता है।

महाशिवरात्रि का क्या महत्व है।

अगर हम आयुर्वेद की दृष्टि से देखें तो सावन के महीने में दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चहिए। क्योंकी इसमें वात यानी वायु विकार से होने वाली बीमारिया।होने का खतरा सबसे अधिक बना रहता है । क्योंकी वात पित्त और कफ के असंतुलन होने से हमारे शरीर में बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।

सावन के महीने में जलवायु के बदलने के कारण हमारे शरीर में वात यानी वायु विकार बढ़ने लगता है।इसी कारण वश हमारे पुराणों में सावन के महीने में भगवान शिव को या शिवलिंग पर दूध अर्पित करने की प्रथा बनाई गई है क्योंकि सावन के महीने में ही गाय या भैंस चारा खाने के  साथ-साथ कई प्रकार के कीट पतंगों का भी सेवन कर लेते हैं ,जो हानिकारक होता है और दूध विषैला हो जाता है।

इसलिए सावन के महीने में दूध का त्याग करते हुए, उस दूध को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है।

भगवान शिव कौन हैं ? Who is Bhagwan Shiv ?

भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वो सर्वशक्तिमान सर्वोपरि सब जगह व्याप्त ,उन्हें सर्वोच्च भगवांन माना जाता है, और उन्हें ब्रह्मांड के विध्वंसक या परिवर्तक के रूप में भी जाना जाता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ब्रह्मा और विष्णु के साथ हिंदू देवताओं के तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं। जिन्हे देवो के देव महादेव भी कहा जाता है।

भगवान शिव को अक्सर एक योगी या तपस्वी के रूप में चित्रित किया जाता है, जिनके माथे पर उलझे हुए बाल और तीसरी आँख होती है। वह बैल से भी जुड़ा हुआ है, जिनको हम नंदी के नाम से जानते है,नंदी बैल को उनकी सवारी भी कहा जाता है

उनको जीव जन्तुओ से बड़ा लगाव है सबसे अधिक सर्प, जो उनके गले में लिपटा हुआ है। शिव को संहार का देवता भी माना जाता है, लेकिन वे सृजन करने और उत्थान करने का भी काम करते हैं।

हिंदू धर्म में, भगवान शिव को अलग अलग रूपों में पूजा जाता है और कई भक्ति प्रथाओं का केंद्र है। उनके भक्तों का मानना है कि वे शक्ति और ज्ञान के परम स्रोत हैं, और उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक ज्ञान और मुक्ति प्राप्त होती है। उनकी पूजा और ध्यान करने से मन को असीम शांति प्राप्त होती है ,

भगवान शिव को आशुतोष के नाम से भी पूजा जाता है , जिसका अर्थ होता है , जल्दी प्रसन्न होने वाले , वो बहुत ही सरल और साधारण होने के बहुत से किस्से और कहानिया है, भगवान शिव किसी से भी जल्दी प्रसन्न होकर कैसा भी वरदान दे देते थे

भगवन शिव की पूजा कैसे करें

Shivling Puja: अगर आप शुद्ध, पवित्र और स्वच्छ मन से भगवन शिव की पूजा करते हो तो भगवान शिव भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. लेकिन घर पर शिवलिंग की पूजा करने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है।

घर पर भगवन शिव की पूजा करने के नियम :

देवों के देव महादेव भगवान भोले नाथ को सनातन धर्म में पंचदेवों में एक माना गया है. अपने नाम की तरह ही भोलेबाबा अत्यंत भोले हैं और उनकी पूजा विधि भी बहुत सरल है । भोलेबाबा अपने भक्त द्वारा सच्चे मन से चढ़ाए गए केवल एक लोटा शुद्ध जल और बेलपत्र से भी प्रसन्न हो जाते हैं.

लेकिन भोले नाथ का विकराल और रौद्र रूप भी है, जो उनके क्रोध होने पर सामने प्रकट होता है। इसलिए महादेव के प्रतीक शिवलिंग की पूजा करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. अगर आपके घर पर शिवलिंग स्थापित है तो पूजा में भूलकर कोई भी गलती न करें. शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करना बहुत ही फलदायी होता है.

शिवलिंग से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब

सवाल:-शिवलिंग क्या होता है?
जवाब:-शिवलिंग एक हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पूजा वस्तु है, जो प्रतिनिधि रूप में परमेश्वर शिव को दर्शाता है। इसे अक्सर आलंबित स्थान पर देवालयों में स्थापित किया जाता है।

सवाल:-शिवलिंग का महत्व क्या है?
जवाब:-शिवलिंग को परमेश्वर की उपासना में बहुत महत्व दिया जाता है। इसे सृष्टि के ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, साथ ही यह शक्ति, संयम और अनुग्रह के प्रतीक के रूप में भी धारण किया जाता है।

सवाल:-शिवलिंग की पूजा कैसे की जाती है?
जवाब:-शिवलिंग की पूजा के दौरान प्राण प्रतिष्ठा, स्नान, चंदन और बिल्व पत्र का अर्पण, धूप, दीप, नैवेद्य आदि किए जाते हैं। भगवान शिव की उपासना में श्रद्धालुओं को विशेष रूप से शिवलिंग का अर्चन करने का उपदेश दिया गया है।

सवाल:-शिवलिंग के प्रकार क्या हैं?
जवाब:-शिवलिंग के कई प्रकार होते हैं जैसे कि स्वयंभू, बाणलिंग, शालिग्राम आदि। ये विभिन्न प्रकार के शिवलिंग विशेषताएँ और महत्व के साथ होते हैं।

सवाल:-शिवलिंग के विरुद्ध में कुछ विवादित बातें क्या हैं?
जवाब:-कुछ लोग शिवलिंग के पूजन में विरोध दिखाते हैं, उन्हें इसे मूर्ति पूजा का उदाहरण मानते हैं और इसे अंतरात्मा की प्रतिष्ठा का प्रतीक कहते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि शिवलिंग के पीछे ऐसे सिद्धांत हैं जो अद्भुत या अदृश्य हो सकते हैं।

नोट:-ये सब थे कुछ सामान्य सवाल और उनके जवाब जो शिवलिंग के बारे में उपलब्ध हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार, शिवलिंग की पूजा और महत्व विविधताओं और पारंपरिक धार्मिक आधारों पर आधारित है।

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निष्कर्ष Conclusion

दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल “Shivling par doodh kyo(शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है ?“जरूर पसंद आया होगा हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल जरूरत होगा आप इसे शेयर भी कर सकते हैं और कमेंट करके भी बता सकते हैं यदि आपको शिवलिंग पर दूध लाने का कोई दूसरा कारण पता हो तो हमारे साथ शेयर कर सकते हैं धन्यवाद।

Author

vikas kumar

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